“जन गण मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता,
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा,
द्राविड़ उत्कल बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशीष मांगे,
गाहे तव जयगाथा
जन गण मंगलदायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता,
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे!”
“जन गण मन” भारतीय राष्ट्रीय गान है और यह गान हर राष्ट्रीय अवसर और स्थिति में भारतीयों द्वारा गाया जाता है। यह गान रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) द्वारा लिखा और अपनी संगीत द्वारा सजाया गया है। यह गान बंगाली भाषा में है, लेकिन हम यहां इसका हिंदी अनुवाद प्रस्तुत कर रहे हैं।
जन गण मन के इस गान में, वाणी द्वारा देवी दुर्गा की प्रशंसा की जाती है और भारत को देवी की पुत्री के रूप में दर्शाया गया है। इस गान के माध्यम से राष्ट्रीय एकता, सामरिक आदर्श और धार्मिकता के संकेत दिए गए हैं।
“जन गण मन” के शब्दों में देश की विविधता को दर्शाया गया है। यह गान देश के विभिन्न राज्यों, प्रांतों, नदियों, पर्वतों और सागरों का समर्थन करता है और यह बताता है कि भारत एक अद्वितीय और सबसे अद्वितीय देश है।
इस गान का वाद्य संगठन “सुष्टि” है, जिसमें संगीतकार और शास्त्रीय वाद्य विद्यालय, कोलकाता के सदस्य शामिल हैं। यह संगठन न तो किसी सरकारी संगठन का हिस्सा है और न ही इसे कोई सार्वजनिक स्थान प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य शास्त्रीय संगीत का विकास करना और संगीत की प्रस्तुति करना है।
इस गान को सुनकर एक भारतीय अपने राष्ट्रीय अभिमान की भावना को महसूस करता है। यह गान विभिन्न सवालों का जवाब देता है, जैसे कि यह क्यों महत्वपूर्ण है कि हम अपने देश के राष्ट्रीय गान का गर्व करें। यह हमें हमारे देश के संघर्षों, स्वतंत्रता की लड़ाई और विभिन्नता के पीछे की अहमियत समझने के लिए प्रेरित करता है।
“जन गण मन” एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्णता वाला गान है जो भारतीय राष्ट्रीयता की भावना को व्यक्त करता है। इस गान को सभी भारतीयों ने सम्मान और गर्व के साथ गाना चाहिए, क्योंकि यह हमारी एकता, एकात्मता और विभिन्नता के प्रतीक है।