Introduction
भारत में हर साल 24 जुलाई को राष्ट्रीय आयकर दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय आयकर विभाग के स्थापना दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन को विशेष रूप से उन लोगों द्वारा याद किया जाता है जिनके जीवन को आयकर के नियमों, मानदंडों और शास्त्रीय विधियों से जोड़ा जा रहा होता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को आयकर के महत्व के बारे में जागरूक करना और उन्हें आयकर का सही उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस लेख में, हम राष्ट्रीय आयकर दिवस के महत्वपूर्ण पहलुओं और इसके पीछे के उद्देश्यों को विस्तार से समझेंगे।
राष्ट्रीय आयकर दिवस का इतिहास
राष्ट्रीय आयकर दिवस का आयोजन पहली बार 24 जुलाई 1860 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय आयकर विधेयक के अंतर्गत किया गया था। इस विधेयक के द्वारा भारत में पहली बार आयकर प्रणाली की स्थापना की गई थी। इससे पहले, भारतीय राज्यों में विभिन्न प्रकार के कर और उसके नियम होते थे, लेकिन इस विधेयक के आगमन से पहले यह एक संघीय आयकर प्रणाली नहीं थी।
भारतीय आयकर विधेयक, 1860 के तहत, चार कुलबीनों के तहत आयकर कलेक्टर्स नियुक्त किए गए थे जो आयकर कलेक्शन और आयकर नियमों के पालन के लिए जिम्मेदार थे। इस विधेयक में व्यक्ति की आय के अनुसार विभाजन का प्रस्ताव रखा गया था और विभिन्न श्रेणियों के अनुसार आयकर दरें निर्धारित की गई थीं।
हालांकि, समय के साथ, भारतीय आयकर प्रणाली में कई संशोधन हुए और 24 जुलाई 2017 को भारत सरकार ने भारतीय आयकर विधेयक, 1860 को रद्द कर दिया और नया आयकर विधेयक लागू किया गया।
राष्ट्रीय आयकर दिवस का महत्व
राष्ट्रीय आयकर दिवस भारतीय आयकर प्रणाली के उपयोग, पालन और सुधार के महत्व को समझने का एक अच्छा मौका प्रदान करता है। यह दिन लोगों को आयकर का महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूक करने का काम करता है और उन्हें समझाता है कि आयकर उनके अर्थतंत्र के विकास और राष्ट्रीय विकास में कैसे मदद करता है।
इस दिन को भारतीय आयकर विभाग अपने कामकाज, प्रोसेस, नए योजनाओं और प्रोजेक्ट्स को लेकर जनता को अवगत कराता है। विभाग इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम और सेमिनार आयोजित करता है, जिनमें आम लोगों को आयकर के नियमों और प्रक्रियाओं के बारे में शिक्षा दी जाती है।
साथ ही, राष्ट्रीय आयकर दिवस व्यक्ति को आयकर भरने के महत्वपूर्ण फायदे और आयकर के नियमों का पालन करने के लाभ के बारे में भी समझाता है। इसके माध्यम से लोगों को यह भी प्रेरित किया जाता है कि वे आयकर के नियमों का पालन करें और देश के विकास में अपना योगदान दें।